फिर क्यूँ मेरा नाम अपने दिल पर लिखवाते हो।। फिर क्यूँ मेरा नाम अपने दिल पर लिखवाते हो।।
बाल कविता(कक्षा-1) बाल कविता(कक्षा-1)
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
नए नहीं हैं, हम तो रूह की , गहराई में बसते हैं। नए नहीं हैं, हम तो रूह की , गहराई में बसते हैं।
उर्जा का तुम स्रोत किरणों से जगत को करते ओतप्रोत, नित -नित हम वंदन करते हैं। ह उर्जा का तुम स्रोत किरणों से जगत को करते ओतप्रोत, नित -नित हम वंदन...